शोर | Shor
शोर
( Shor )
बिरहा की लंबी साधना के बाद प्रिय के साक्षात दर्शन होंगे। मन के किसी कोने में एक अज्ञात सुख की वर्षा होगी जब प्रिय के दर्शन होंगे।
चिड़िया का चहचहाने का शोर मानो मुझे प्रियतम के आने की सूचना दे रहा हो। निंद्रा से जगा रहा है, मानो चिड़िया मुझसे कह रही हो अब निंद्रा त्यागो पिया मिलन की बेला है आई।
पगली पवन का शोर चारों ओर हो रहा था। कानों में जैसे मधुर संगीत सुनाई दे रहा था। मानो वह मधुर संगीत मुझसे कह रहा हो, पिया मिलन की बेला आई। हवा के झोंके ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो मुझ पर इत्र लगा रहे हो।
बारिश की छम छम का शोर मानो अपनी और खींच रही थी। मोर भी झूम रहा था बरसात में मोर भी अपने आप को थिरकने से रोक ना पाया।
मोर की और मेरी बिरहा की पीड़ा मानो एक हो, और प्रियतम के मिलन में दोनों बारिश के शोर में झूम रहे हैं। चारों ओर बादलों का गरजने का शोर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मधुर संगीत में बादल वाद्य यंत्र बजा रहा हो। और मुस्कुराकर दामिनी ऐसी चमक रही थी जैसे वह इन दृश्य को कैद करना चाह रही हो।
मोर का पीहू पीहू का शोर, पगली पवन का शोर, बारिश का शोर, मानो मुझे आगह कर रहे हो, कि तुम्हारे प्रियतम द्वार पर पहुंचने वाले हैं, और आग्रह कर रहे हैं की विरह की वेदना से बाहर आओ, और श्रृंगार रस को अपनाओ और प्रियतम के आगमन पर मन रूपी महल को सजाओ, यह सब देखकर व सुनकर मेरा मन पुलकित हुआ।
मेरा रोम रोम गदगद हो रहा था।चारों ओर से यही शोर हो रहा था आज तोहे प्रियतम के दर्शन होंगे।
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लेखिका :- गीता पति (प्रिया)
( दिल्ली )