मिलन की चाह | Chhand milan ki chah
मिलन की चाह
( Milan ki chah )
मनमीत आओ मेरे,
मिलन की घड़ी आई।
चाहत की शुभवेला,
दौड़े चले आइए।
मौसम सुहाना आया,
रूत ने ली अंगड़ाई।
मिलन को प्रियतम,
प्रेम गीत गाइए।
खुशबू ने डाला डेरा,
महका दिल हमारा।
लबों पे तराने प्यारे,
मधुर सुनाइए।
दिल में उमंगे छाई,
खिल गया मन मेरा।
मिलन को मीत मेरे,
देर ना लगाइए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )