किया था प्यार
( Kiya tha pyar )
किया था प्यार मगर हमनें जताया ही नही।
वो कैसे जानती जो हमने बताया ही नही।
रहा अफसोस हमेशा ही से ये दिल मे मेरे,
क्यों ये जज्बात मेरे दिल के दिखाया ही नही।
2. नयन
आँधी और तुफान बसा है, दो नयनों के अन्दर।
उससे बड़ा बवन्डर है, मेरे इस दिल के अन्दर।
किससे मन की बात बताए,उलझा है मन किसमें,
वेग नदी का कम है मुझमे, भरा हुआ है समुन्दर।
3. कुंए का मेढ़क
कुंए. का मेढ़क बन बैठा, काहे सिर्फ प्रलाप करे।
मन से बाहर आ तू मूरख, काहे सिर्फ अलाप करे।
मूढ बना रह जाएगा जो, दुनियादारी ना सीखा,
अपनी राह बना ले प्यारे, तो मंजिल अपने आप मिले।
4. मन पाप भरा हैं
मन पाप भरा हैं पापी तेरा, अब उद्धार नही।
ले जाएगा ये कर्म रसातल, अब उद्धार नही।
मोह रोग हैं जकड़ा इसमे, कैसे तू निकलेगा,
राम रमो मन ताप हरो, अब तू हुंकार नही।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )