चोट वफ़ा में ही खाई है
( Chot Wafa Mein Hi Khai Hai )
चोट वफ़ा में ही खाई है !
ग़म की दिल में तन्हाई है
जो अपनी थी ए दोस्त कभी
वो राहें आज पराई है
देखा जब से उसको मैंनें
आंखों में ही परछाई है
ग़ैर हुआ है वो जीवन भर
बता रही ये पुरवाई है
सच सुनने की तू ताक़त रख
कड़वी होती सच्चाई है
वो साथ नहीं है ए “आज़म”
यादें दिल पे बस छाई है
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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