
खिल रहा वो फ़ूल गुलाब का
( Khil Raha Wo Phool Gulab Ka )
खिल रहा वो फ़ूल गुलाब का !
हुस्न हो जैसे आफ़ताब का
इक खिला फ़ूल वो देखकर
याद आया चेहरा ज़नाब का
हाँ बुरा सी लगेगी नजर
कर ले तू ये चेहरा हिजाब का
प्यार का ख़त भेजा था उसे
ख़त नहीं था लिखा ज़वाब का
नींद में आये वो ही नजर
था आंखों में असर ख़्वाब का
जिसपे उसको लिखा हाले दिल
खो गया वो पन्ना क़िताब का
जिंदगी ग़म में डूबे आज़म
जाम मत पी इश्क़े शराब का
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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