चहक चिट्ठी की
( Chahak chithi ki )
मनहरण घनाक्षरी
जब भी डाकिया आता,
पत्रों का पिटारा लाता।
चिट्ठियों का इंतजार,
बेसब्री से करते हैं।
भावन उर उमंगे,
जगे चहक चिट्ठी की।
गांव को परदेस में,
यादें दिल में रखते।
चिट्ठी सेतु बन गई,
जुड़े दिल के तार।
सुख-दुख के संदेश,
पीड़ा सारी हरते।
सुकून सा मिल जाता,
पढ़ समाचार सारा।
मन के भाव चिट्ठी में,
शब्द मोती झरते।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )