Purane khat
Purane khat

पुराने खत

( Purane khat )

 

मनहरण घनाक्षरी

 

पुरानी यादें समेटे,
पुराने खत वो प्यारे।
याद बहुत आते हैं,
पल हमें भावन।

 

शब्द बयां कर जाते,
मन के मृदुल भाव।
मोती बन दमकते,
लगे मनभावन।

 

खत पुराने मुझको,
याद फिर दिला गए।
भावन जमाना था वो,
मौसम भी भावन।

 

सहेज रखा हमने,
मधुर सी स्मृतियों को।
आखर आखर मोती,
बरसे ज्यों सावन।

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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