शिव | Shiva | Chhand
शिव
( Shiva )
मनहरण घनाक्षरी
नाग वासुकी लपेटे,
गले सर्प की माला है।
त्रिनेत्र त्रिशूलधारी,
शंकर मनाइए।
डमरु कर में लिए,
नटराज नृत्य करें।
चंद्रमा शीश पे सोहे,
हर हर गाइये।
जटा गंगधारा बहे,
कैलाश पे वासा प्रभु।
गोरी संग गणेश को,
बारंबार ध्याइये।
त्रिपुरारी शिव भोले,
शंकर दया निधान।
हर हर महादेव,
कावड़ चढ़ाईये।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )