Mera parichay
Mera parichay

मेरा परिचय

( Mera parichay )

 

मैं अगम अनाम अगोचर हूँ
ये श्रृष्टि मेरी ही परछाई

 

मैं काल पुरुष मैं युग द्रष्टा
मानव की करता अगुआई

 

मेरी भृकुटि स्पंदन से
आती हर युग मे महा – प्रलय

 

मैं अभ्यंकर मैं प्रलयंकर
हर युग मे मैं ही विष पाई

 

मैं सतयुग का हूँ सत्य स्वयं
जो शाश्वत है अविनाशी है

 

त्रेता युग मे वन मे भटका
रामायण का सन्यासी है

 

मानवता का पालन करता
बाली रावण संहारक हूँ

 

मैं दिग दिगन्त मे व्याप्त कर्म
सुख दुःख दोनों का कारक हूँ

 

मैं कान्हा द्वापर युग का भी
वंशी धर भी गो पालक भी

 

विषधर के मस्तक पर नर्तन
करने वाला वह बालक भी

 

मैं क्रूर कंस का मर्दन कर
देता जन जन को देता अभय दान

 

मैने ही दिया विश्व भर को
सार्थक गीता का दिव्य ज्ञान

 

मैं हूँ अनादि मैं हूँ अनन्त
हाँ सहज सूक्ष्म बिंदू हूँ मैं

 

जो होगा जगत गुरु कल फिर
मैं भारत हूँ हिन्दू हूँ मैं

?

कवि : डॉक्टर// इंजीनियर मनोज‬ श्रीवास्तव

Ex BEL Ghaziabad/Ex HAL Lucknow

( उत्तर प्रदेश )

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