पिता | Pita par kavita in Hindi
पिता
( Pita )
वह तो नहीं है पर
याद बहुत आती है
आगे बढ़ो खुश रहो
हर पल जियो
यह मेरे कानों में
आवाज आती है
गूंजते है शब्द उनके
पापा जैसे पास खड़े
पलक बंद करूं
तो छवि मुस्कुराती है
कितने दिन हो गए
बरसो ही गुजर गए
आज भी मुझे
मेरे बेटा मेरे लाल
हंसी खुशियों से
भरे वह पल
चश्मे से प्यारी आंखें
ताकती झांकती
आवाज देती
नजर मुझे आती है
काश आप जी पाते
काश आप सुन पाते
घर से निकलती हुई
गाड़ियों की आवाजों को
अपने पैरों खड़े हो
बेटे मेरे आगे बढ़ो
मिले मुझे सम्मान पत्रों
को पर शाबाशी देनेवाले
पापा आप साथ नहीं
ऐसा सब कहते हैं l
पर भावना में और
कल्पना में
प्रार्थना में याचना में
सुबह की लालिमा में
साझ के धुंधलके मे
कोई एक पल नहीं
जहां आप संग नहीं
जागते में सोते में
आंखों की कोरों में
बहते इन नीरो में
मुझ में समाहित
आप ही तो हो सही