गूंजता दरबार मां का आज जय जयकारों से | Geet gunjata darbar maa ka
गूंजता दरबार मां का आज जय जयकारों से
( Gunjata darbar maa ka aaj jay jayakaaron se )
है गूंजता दरबार मां का, आज जय जयकारों से।
दुष्ट दलनी अंबे महागौरी, शेरावाली के नारों से
भर देती भंडार माता, भक्तों की सुनती पुकार।
रक्षा करती दुर्गा रणचंडी, सब बैरियों गद्दारों से।
है गूंजता दरबार मां का, आज जय जयकारों से।
जलती अखंड ज्योत मां, यश वैभव दरबारों में।
देती जब वरदान भवानी, हो सकल मनोरथ सारे।
साधक शरण आपकी माता, भक्त खड़े कतारों में।
है गूंजता दरबार मां का, आज जय जयकारों से।
महकती वादियां सभी, खिलते चमन बहारों से।
शेरावाली पर्वत वासिनी, दुष्ट दलनी सब पीर हरो।
रणचंडी जय मां जगदंबे, ओज भरो हूंकारो में।
है गूंजता दरबार मां का, आज जय जयकारों से।
जग जननी आदिशक्ति, रणवीरों के हलकारो से।
जय भवानी जय भवानी, शमशीरो की पूजा होती।
दिव्य शक्ति तेज झलकता, आलोकित सितारों में।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )