Durga mata par kavita
Durga mata par kavita

दुर्गा माता रानी तू ही भवानी

(Durga mata rani tu hi bhawani)

 

आदिशक्ति हे मां काली, ढाल खड्ग खप्पर वाली।
सिंह सवार मां जगदंबे, दुखड़े दूर करने वाली।
असुर संहारिणी ज्वाला, तू ही पर्वत निवासिनी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।

 

सजा दरबार निराला, रणचंडी शक्ति स्वरूपा।
कमल नयनो वाली, माता का रूप अनूपा।
शंख चक्र त्रिशूल सोहे, सौम्य रूप मां वरदानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी‌

 

महिषासुर मर्दिनी महामाया, चंड मुंड संहारिणी।
सब सिद्धियां देने वाली, जग की पालन हारनी।
यश वैभव सुख दाता, तू ही शक्ति मर्दानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।

 

जग की करतार माता, तुम ही मां भाग्यविधाता।
बल बुद्धि देने वाली, पूजा करके दीप जलाता।
हाथ जोड़ खड़े द्वारे, भक्त तिहारे मां सुरज्ञानी।
दुर्गा माता रानी, तू ही भवानी।

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रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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