अवध | Awadh par Kavita
अवध
( Awadh )
रत्नजडित सिंहासन पर,अभिषेक राम का होगा।
भारत की पहचान विश्व में, मन्दिर राम से होगा।
भगवा ध्वँज पिताम्बर तुलसी, राम नाम गुँजेगा।
शंख चक्र कोदण्ड धनुष संग,अवध नगर सँवरेगा।
सरयू तट पर दीप करोडो, जगमग जग दमकेगा।
भाव भक्ति से भरे भक्तों का,नयन मगर छलकेगा।
रामचरित्र मानस गुँजेगा सरयू जी की घाट पर।
जिसकी धधक सुनाई देगी,मथुरा के श्रीश्याम तक।
भगवामय फिर होगा भारत,कच्छ से ले आसाम तक।
काश्मीर से रामेश्वर और, सुबह दोपहर शाम तक।
इसीलिए हुंकार भरो सब, छाती चौडी तान के।
भारत की पहचान यही है गंगा गाय और राम से
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )