गणपति बप्पा
( Ganpati bappa kavita )
मुश्क की सवारी,
मोदक देख मुँह मे
उनके लाल है।
ज्ञान का रूप,
असुरो के काल हैं।
एक दंत, महाकाय रूप
मनमोहक उनकी चाल हैं
देह मानव का,
मुख गज का ,
माता के लाल हैं।
मुश्क उनके मित्र,
वे शत्रुओं के काल हैं।
रिद्धि सिद्धी के स्वामी,
शिव शंकर के लाल हैं।
कार्तिक के भाई
भगवान श्री गणपति लाल है
❣️
लेखक : दिनेश कुमावत