बचा लो सृष्टि भगवान | Bachalo Srishti Bhagwan
बचा लो सृष्टि भगवान!
( Bachalo srishti bhagwan )
अनर्थ व्यापक हो रहे हैं
धरती धरा पर
दुष्ट आततायी बढ़ रहे हैं
धरती धरा पर
बढ़ रहे हैं जुल्म यहाँ पर
निर्धन बेबस हैं लाचार
जाने कैसे देखकर चुप है?
जगत के तारनहार!
अत्याचार बढ़ा है हद से
मची लूट है चहुंओर
दबंगई हत्या बलात्कार की पूछो मत
गिनते गिनते जाओगे थक!
क्यों नहीं आ रहे हो भगवन?
गला बैठ गया है तुम्हें पुकारत!
क्या मिट्टी के बने हो?
जो सुनते ही नहीं हो
या ह्दय पाषाण किए हो
जो द्रवित नहीं होता हमारी चीख पर भी!
कम से कम देखते तो
अंतर्यामी भी हो
फिर चुप क्यों हो?
क्या अत्याचार में भागीदार तुम भी हो?
जो आतताइयों का दमन नहीं करते हो
सुन लो हम गरीब की
बचा लो सृष्टि!
वरना हम समझेंगे
तुम हो मिट्टी ही।
लेखक–मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।