
इम्तहान बाकी है
( Imtihan baki hai )
अभी तो रास्ता शुरू हुआ है,
असली इम्तहान तो बाकी है।
अभी तो समंदर पार किया है,
पूरा आसमान बाकी है।
यह सिर्फ शुरुआत हुई है,
अभी तो असली रास्ता बाकी है !
हिम्मत रख तू कीमत दे इस वक्त को,
क्योकि अभी असली वक्त आना बाकी है,
मंजिल ज़रूर मिलेंगी,
यह उम्मीद की किरण जरूर खिलेंगी ।
हौसला रख तू मेहनत कर,
मंजिल की शमा जरूर पिघलेगी
रूक परिणाम आना अभी बाकी है
कब तक
( Kab Tak )
कब तक तुम छोटे छोटे सपनों से मुंह मोड़ोगे ?
कब तक तुम छोटी सी जिंदगी मे अपनी खुशियां तोड़ोगे ?
कब तक हर चीज केलीये,
तुम अपने आप को दोष देते रहोगे ?
कब तक तुम अपनी राह पर वहीं खडे रहोगे,
ऐ शक़्स यह पहली लड़ाई है तुम्हारी,
इसकी तैयारी में कब तक तुम हारोगे ?
सामने बहुत बड़ा मैदान है ,
कब उसे दिल लगाकर पार करोंगे,
कब तक…
नौशाबा जिलानी सुरिया
महाराष्ट्र, सिंदी (रे)