वाह रे वाह टमाटर | Wah re Wah Tamatar
वाह रे वाह टमाटर
( Wah re wah tamatar )
वाह रे टमाटर क्या इज्जत पाई है।
भाव भी ऊंचे शान तेरी सवाई है।
टमाटर से गाल जिनके मिल जाए।
खजाना भर माल चल पास आए।
भाव उनके भी बढ़ जाते दुनिया में।
लाल लाल टमाटर सा मुंह बनाएं।
अब आलू नहीं टमाटर हो जाइए।
रुतबा संसार में कुछ ऐसा बनाइए।
आलू प्याज रहोगे तो पिस जाओगे।
अक्ल के अंधे होकर घिस जाओगे।
टमाटर ने अपनी इमेज खुद बनाई है।
शोहरत देख दुनिया भी चकराई है।
लाल आंखें लाल चेहरा हो टमाटर सा।
पांचों अंगुली घी में हाथ रसमलाई है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )