श्री कृष्ण मुरारी | Shri Krishna Murari
श्री कृष्ण मुरारी
( Shri Krishna Murari )
अब तो आओ, श्री कृष्ण मुरारी
भोगवाद स्याह घटाएं ,
आच्छादित चारों ओर ।
क्रूर कंस सम मानव कृत्य,
धुंधली सी जीवन भोर ।
मंदित गुरु ज्ञान ज्योत ,
अपमानित गायेँ बेचारी ।
अब तो आओ, श्री कृष्ण मुरारी ।।
हर कदम सही गलत ,
एक तराजू सह तोल ।
मौन व्रत पर सच्चाई,
बेईमानी प्रखर बोल ।
नैतिकता का चीर हरण कर,
बहुत बढ़ रहे भ्रष्टाचारी ।
अब तो आओ ,श्री कृष्ण मुरारी ।।
जनमानस आपसी संबंध,
अथाह स्वार्थ परिपूर्ण ।
मर्यादा विहीन आचरण,
सद्गुण सदाचार अर्थ अपूर्ण ।
देख भौतिक चकाचौंध,
पथ विचलन नर नारी ।
अब तो आओ, श्री कृष्ण मुरारी ।।
धर्म आस्था पर प्रहार ,
वासनामय चिंतन मनन ।
पाश्विकता का दामन थाम ,
दानवी राहों पर गमन ।
अब फिर सुदर्शन चक्र धरो,
आस तुम्हीं पर टिकी है सारी ।
अब तो आओ , श्री कृष्ण मुरारी ।।
महेन्द्र कुमार
नवलगढ़ (राजस्थान)