ख़ुशबू वतन की | Khushboo Watan ki
ख़ुशबू वतन की
( Khushboo watan ki )
सांस में मेरी बसी ख़ुशबू वतन की
बात करता हूँ यहाँ तो मैं अमन की
प्यार से महके वतन यूं ही हमेशा
ख़ूबसूरती कम नहीं हो इस फ़बन की
दुश्मनों की चाल हर नाकाम करके
हाँ हिफ़ाज़त रोज़ करनी है चमन की
सैनिकों ही हौंसले जिससे बढ़ेगा
जोर से आवाज़ निकले वो नमन की
नफरतें हो खत्म जिससे ही यहाँ जो
है जरूरत प्यार के ही बस चलन की
सच कहूँ जय हिंद निकले हर लबों से
फ़ैल जाए सांसों में ख़ुशबू सुमन की
प्यार है आज़म वतन से इस क़दर ही
हम लड़ेंगे दुश्मन से ख़ातिर वतन की