सजी अवध की पुण्य धरा | Saji Avadh
सजी अवध की पुण्य धरा
( Saji avadh ki punya dhara )
गीत-14-15
सजी अवध की पुण्य धरा,
खुशियों की होती बरसात।
प्राण-प्राण में राम बसे,
प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ रात।।
सियाराम जय जय राम
सियाराम जय जय राम।
भव्य भवन के गज हनुमत,
सिंह, गरुड़ हैं पहरेदार।
चरण पखारे सरयू तट,
गूंज रहा है जय-जयकार।।
राम-नाम का जप करते,
नतमस्तक करते प्रणिपात।
प्राण-प्राण में राम बसे,
प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ रात।।
सियाराम जय जय राम
सियाराम जय जय राम।
समय पृष्ठ ने रचा नया,
भारत भू में फिर इतिहास।
गर्वित हैं भारतवासी,
भरे हृदय में नव उल्लास।।
छलकी आँखें भक्तों की,
उर में खिले प्रेम जलजात।।
प्राण-प्राण में राम बसे,
प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ रात।।
सियाराम जय जय राम
सियाराम जय जय राम।
रघुनंदन छवि दर्शन को,
उमड़ रहा है विश्व समाज।
राम रतन धन पाएँ हैं,
हर्षित है अंतर्मन आज।।
नए साल में रामलला
मन आँगन में किये प्रभात।
प्राण-प्राण में राम बसे,
प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ रात।।
सियाराम जय जय राम
सियाराम जय जय राम।