मत मार पिचकारी
( Mat Mar Pichkari )
मत मार पिचकारी, मेरी भीगी चुनरिया सारी।
रंग मत डारे रे सांवरिया, मोहन मदन मुरारी।
रंग गुलाल उड़े फागुनी, मधुर बजे मुरली थारी।
झूम झूम गुजरिया नाचे, नाच रही राधा प्यारी।
चंग बजे बांसुरी की धुन, मस्त हुई दुनिया सारी।
रसिया मोहन प्यारे आजा, धूम मच रही भारी।
महक उठा मधुबन सारा, खिल गई है फुलवारी।
कृष्ण कन्हैया रंगरसिया, नटवर नगर बनवारी।
मोहनी मूरत मुरलीधर की, सांवरी सूरत सारी।
राधा प्रिय घनश्याम कान्हा, मीरा के गिरधारी।
मोर मुकुट मुरलीधर सोहे, केशव कुंज बिहारी।
प्रीत रंग में रंग गई राधा, भीगी चुनरिया सारी।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )