बुरा ना मानो होली है
( Bura na Mano Holi Hai )
कान्हा जी राधा बोली है,
झूम रहे हमजोली है।
फागुन रंग बसंती छाया,
धूम मची अब होली है।
रंगों की सजी रंगोली है,
हुड़दंग हंसी ठिठोली है।
भीगी चूनर चोली है,
बुरा ना मानो होली है।
रिश्तो में मिठास घोली है,
अपनापन मीठी बोली है।
रसिकों की निकली टोली है,
बुरा ना मानो होली है।
छंदो गीतों में होली है,
रंगों की रंगत डोली है।
फागुन की मस्ती छाई है,
बुरा न मानो होली है।
मौसम की आंख मिचोली है,
ये प्रीत भरी रमझोली है।
रंगरसिया चंग पर नाचे,
बुरा ना मानो होली है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )