नवरात्रि पर्व ( चैत्र) नवम दिवस
नवरात्रि पर्व ( चैत्र) नवम दिवस
भुवाल माता पर सदा विश्वास
अक्षय कोष शक्ति का भीतर है ।
एक बार उसको जो पहचान जाता
है वह शिव पथ गामी बन जाता है ।
कर्मों की गति से जीवन में
बार – बार दुर्दिन देखा है
बार – बार चोटे खाई है ।
असफलता , अपमान , पराजय
पीड़ा पर पीड़ा जीवन में आई है
आघातों – प्रत्याघातों को घातक ,
क्रूर प्रहार आदि न मानो बल्कि
भुवाल माता पर विश्वास रखो
जो भीतर में छिपा शक्ति का
अक्षय कोष है जो सदा
विजयी कराता है ।
जो निराश होकर रोता है
प्रकृति उसे रुलाती है इसके
विपरीत भुवाल माता पर
विश्वास रख जो तूफानो
से लड़ने की हिम्मत जैसे
आगे बढ़ता है उसको
जीत का स्वाद मिलता है ।
जो इस धरती पर आ जाता है
उसको लड़ना ही पड़ता है
हर सरिता को चट्टानों से
निशदिन भिड़ना ही पड़ता है
अन्धकार के बिना ज्योति का
होता है संसार न मानो ।
भुवाल माता पर सदा विश्वास
रख भीतर छिपे अक्षय कोष
शक्ति को पहचानो ।
एक बार उसको जो पहचान जाता
है वह शिव पथ गामी बन जाता है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)