हे कवि कुछ ऐसा गीत लिखो | Poem Hey Kavi
हे कवि कुछ ऐसा गीत लिखो
( Hey Kavi Kuch Aisi Geet Likho )
आशा को नव-विश्वास मिले।
प्राणों को प्रखर प्रकाश मिले।
टूटती आस्था को संबल,
भावों को विशद विकास मिले।
मिट जाय जगत से नग्न कुरुचि,
तम पर प्रकाश की जीत लिखो।
हे कवि! कुछ ऐसा गीत लिखो।
मिट जाय दंभ की परछाईं।
जागे जन मन में तरुणाई।
हो दूर अमा का अंधकार,
विकसे प्रभात की अरुणाई।
इतिहास समेटे गौरव का,
भारत का स्वर्ण अतीत लिखो।
हे कवि! कुछ ऐसा गीत लिखो।
जो भटक गये हैं राहों में।
अभिशाप समेटे बाहों में।
जो जीवन को दे भिन्न दिशा,
मिट जाय न जीवन चाहों में।
दिख जाये पाथेय सभी को,
कुछ ऐसा मनमीत लिखो।
हे कवि! कुछ ऐसा गीत लिखो।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)