तेरे साथ ये लम्हे | Tere Sath ye Lamhe
तेरे साथ ये लम्हे
( Tere Sath ye Lamhe )
बुझते को ज्योति हो जैसे,
भूखे को रोटी हो जैसे,
तेरे साथ ये लम्हे ऐसे,
सीप मे मोती हो जैसे,
श्री हरि की पौड़ी जैसे,
राधा कृष्ण की जोड़ी जैसे,
इन लम्हों मे मै हो जाऊॅ
चंदा की चकोरी जैसे,
मिसरी की मीठी डलियों जैसे,
जूही की नाजुक कलियों जैसे,
भाते हैं तेरे साथ ये लम्हे,
वृन्दावन की गलियों जैसे।
रचना: आभा गुप्ता
इंदौर (म.प्र.)