जयपुर | Jaipur par kavita
जयपुर
( Jaipur )
नगर गुलाबी जयपुर प्यारों सुंदर है आलीशान।
राजधानी राजस्थान की रही रजपूतों की शान।
रत्न जड़ाऊ मीनाकारी कारीगरी यहां बेजोड़।
शिल्पकला मुख से कहती कोई नहीं है तोड़।
महाराजा जय सिंह शान से शहर बसाया न्यारा।
अनुपम छटा मन को मोहे सबको लगता प्यारा।
तीज त्यौहार गणगौर मेला कई झांकियां सजती
गलताजी का घाट जहां मंदिर की घंटीयां बजती
रंग बिरंगे परिधान रंग रंगीलो राजस्थान
मतवाले मस्ती में गाते झुमके गौरव गान।
जंतर मंतर खगोल शाला है दुनिया में सरनाम।
हवामहल आकर्षण केंद्र शिल्प कला का नाम।
चिड़ियाघर अनोखा देखो दर्शक दंग रह जाओगे।
आमेर का किला मोहक हाथी की सवारी पाओगे।
सिटी पैलेस में शानदार बना हुआ सुंदर चंद्र महल।
गोविंद देवजी का मंदिर जहां दिनभर रहती पहल।
दीवान ए खास दीवान ए आम प्रेम बरसाते हैं।
नारगढ़ का किला प्यारा सैलानी घूमने आते हैं।
जयगढ़ नाम विजय किला कीर्ति ध्वज फहराता है।
जयपुर शहर ही ऐसा पर्यटक खींचा चला आता है।
रामनिवास बाग महकता सुंदर चौपड़ बाजार।
चौड़ा रास्ता दिल बड़ा है जयपुर शहर मेरे यार।
सांगानेरी अजमेरी गेट सजा धजा चांदपोल बाजार।
सुंदर सजीला जयपुर सारा बहती भाव भरी बयार
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )