Ghazal | रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी
रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी
( Raha Hausala Har Musibat Me Bhari )
रहा हौंसला हर मुसीबत में भारी।
न टूटी दुःखों में भी हिम्मत हमारी।।
मिटे दिल के अरमां रहे सोच के चुप।
किसी रोज होगी हमारी भी बारी।।
लिखा हाथ की जो लकीरों में रब ने।
वो छीनेगी कैसे भला दुनियादारी।।
सफलता की सीढ़ी चढे हम खुशी से।
बहुत राह रोके खड़ी दुनिया सारी।।
सभी फैसले हम नहीं खुद ही करते।
उसी की रजा में उमर है गुजारी।।
बना जब ज़माना हमारा ये दुश्मन।
बचाया उसी ने रही हर से यारी।।
न समझा जहां ये कभी शायरों को।
“कुमार” उनकी बातें ज़माने से न्यारी।।
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