बादल प्यारे

बादल प्यारे | Kavita Badal Pyare

बादल प्यारे

( Badal Pyare )

 

जल मग्न होती यह धरती
घिर आए जब जून में बादल
काले काले बदरा प्यारे प्यारे
उमड़ घुमड़ जब छाए बादल।।

अंबर से जब बरसे मेघ अमृत
खुशहाली छाए झूम के आए
बरखा की बहार संग ये सावन
पुकारे धरती तुमको प्रिय बादल।।

त्राहि त्राहि जब होता जग जीवन ,
मेघ देख होता ये प्रफुल्लित मन
आते ही छाए खुशी की उमंग तरंग
पपिहा ,कोयल ,पशु पक्षी मधुर पुकारे ।।

बारिश संग हुआ गर्मी का समापन
तुम बिन तो थे नैना ये बंजर हमारे
बादल बरसे खिल उठा ये उपवन
कल्याण हेतु सौभाग्य से तुम पधारे ।।

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

यह भी पढ़ें :-

बरसो बादल | Kavita Barso Badal

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *