होलिया में गरवा लगवा

छुटि जाई दुनिया -जहान,
होलिया में गरवा लगावा।

जाई नहीं सथवाँ ई महल-अटरिया,
दाग से बचावा तू अपनी चदरिया।
अपनी चदरिया हो,अपनी चदरिया,
अपनी चदरिया हो,अपनी चदरिया,
नाहीं करा तनिको ग़ुमान,
होलिया में गरवा लगावा,
नाहीं करा तनिको ग़ुमान,
होलिया में गरवा लगावा,
छुटि जाई दुनिया -जहान,
होलिया में गरवा लगावा।

मिलल जवन जिनगी रंगीन बनावा,
फुलवा के जइसन एके गमकावा।
एके गमकावा हो, एके गमकावा,
एके गमकावा हो, एके गमकावा,
मन के बनावा न दुकान,
होलिया में गरवा लगावा।
मन के बनावा न दुकान,
होलिया में गरवा लगावा।
छुटि जाई दुनिया -जहान,
होलिया में गरवा लगावा।

उड़ि जाई पिंजड़ा से एकदिन सुगनवाँ,
जाये के पड़ी सबके पिया के भवनवाँ।
पिया के भवनवाँ हो,पिया के भवनवाँ,
पिया के भवनवाँ हो,पिया के भवनवाँ,
जवनिया तव होले ई तूफ़ान,
होलिया में गरवा लगावा।
जवनिया तव होले ई तूफ़ान,
होलिया में गरवा लगावा।
छुटि जाई दुनिया -जहान,
होलिया में गरवा लगावा।

कहा नहीं बात ऊ कलेजवा के बेधे,
होंठवा के रस से ललइया ऊ टपके।
टपके ललइया हो, टपके ललइया,
टपके ललइया हो, टपके ललइया।
गइले पे करें लोग बखान,
होलिया में गरवा लगावा।
अरे! गइले पे करें लोग बखान,
होलिया में गरवा लगावा।
छुटि जाई दुनिया -जहान,
होलिया में गरवा लगावा।

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

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