हक की बात

हक की बात | Haq ki Baat

हक की बात

( Haq ki Baat )

पत्थर के सब देवता, पत्थर के जो लोग।
होते सौरभ खुश तभी, चढ़ जाता जब भोग।।

देकर जिनको आसरा, काटा अपना पेट।
करने पर वो हैं तुले, मुझको मलियामेट।।

टूटे सपना एक तो, होना नहीं उदास।
रचे बढ़े या फिर करे, कोई नया प्रयास।

अपने हक की बात पर, बोले क्या दो बोल।
कटे-कटे से हो गए, रिश्ते सब अनमोल।।

बिना कहे मत कीजिए, कभी किसी का काम।
वरना दुनिया मान ले, तुझको माल हराम।।

टिके सदा से झूठ पर,जिनके हैं किरदार।
भला करेंगे वो कभी,सच्चाई स्वीकार।।

जिनको मेरी फिक्र है, वो है मेरी जान।
बाकी दुनिया में सभी, राहगीर अनजान।।

Dr. Satywan  Saurabh

डॉo सत्यवान सौरभ

कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा

यह भी पढ़ें :-

दूधवाला | Kavita Doodhwala

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *