नहीं ह्रदय स्वीकार | Nahi Hriday Swikar
नहीं ह्रदय स्वीकार
( Nahi Hriday Swikar )
ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन, जीवन है निस्सार।
धड़कन निरपराध है बंदी ,तन बस कारागार।।
सांसों सांसों में जलती है ,अखंड प्रेम की ज्योति।
कह देती हूं आज तेरे बिन, नहीं ह्रदय स्वीकार।
ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन जीवन है निस्सार।
याद तुम्हारी बनी है देखो ,आठों याम सहेली।
जितना जी चाहे बतियाऊं , फिर भी रहे पहेली।।
तेरे प्रेम की जंजीरों से कौन निजात है पाएं।
एक झलक ही तेरी मेरे,जीने का आधार।
ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन जीवन है निस्सार।
जग जाने है तपे बिना ,स्वर्ण बने ना कुंदन।
मैं मानू संग है प्रियतम तो ,देह बनेगी चंदन।।
छूकर मुझको देखो जरा ,कहां नहीं हो मुझ में तुम।
मौन समर्पण को है व्याकुल, तेरे लिए ही मेरा प्यार।
ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन जीवन है निस्सार।
रहो ना जब इस देह में तुम तो, मुझ में प्राण कहां है।
मन मंदिर में नेह भाव के फिर भगवान कहां है।
कर ली हमने प्रेम सगाई, जन्मों का ये गठबंधन।
घूंघट खोल “प्रीत” का देखो प्रीत पे प्रीत निखार।
ओ प्राणों के प्राण तेरे बिन, जीवन है निस्सार।
धड़कन निरपराध है बंदी, तन बस कारागार।
सांसों सांसों में जलती है, अखंड प्रेम की ज्योति।
कह देती हो आज तेरे बिन, नहीं ह्रदय स्वीकार।
डॉ. प्रियंका सोनी “प्रीत”
जलगांव
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