
ऋतुएँ हैं अनेक पर बसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ
( Rituyen hain anek par basant ritu sarvashreshth )
यह बसंत ऋतु लायी फिर से प्यारी सी सुगन्ध,
ये प्रकृति निभाती सबके साथ समान सम्बन्ध।
यह जीने की वस्तुएं सभी को उपलब्ध कराती,
शुद्ध हवा एवं अमृत जल हम सबको पिलाती।।
इस प्रकृति की लीलाएं वसुंधरा पर अपरम्पार,
ऋतुएं है अनेंक पर बसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ स्थान।
यही बसंत ऋतु धरती को हरा भरा कर जाती,
कोकिला भी छेड़ देती जिसमें कुहा-कुहू तान।।
यह दिल को छू जाता मस्त हवाओं का झोका,
मीठी-मीठी धूप जब अपने आंगन में है होती।
यही मेघराज भी उस वक़्त फूला नही समाता,
यह पतझड़ लग जाता एवं नई कोंपले आती।।
खेत-खलिहान कृषक के हृदय खुशियां आती,
पीली सरसों खेत में जब खड़ी खड़ी लहराती।
पीले फूलों की दुनिया व गीतों का यह आलम,
यह हरियाली तो केवल बसन्त ऋतु में आती।।
हर-साल यही मौसम जीवन में खुशियां लाता,
बेसब्री से इन्तज़ार सब इन्सान इसका करता।
जब कि बसंत ऋतु कम समय के लिए रहता,
पर यही वक्त हम सबको बहुत कुछ सिखाता।