गुरुवर विनय साग़र | Guruvar Vinay Sagar

गुरु पूर्णिमा के पुनीत पर्व पर मैं अपने उस्ताद शायर ज़नाब विनय साग़र जायसवाल, बरेली-उ०प्र० को शत्-शत् प्रणाम करता हूँ। ग़ज़ल की दुनिया में आज जो कुछ भी मुझे हासिल है वो सब गुरुदेव के ही आशीर्वाद और रहनुमाई की बदौलत है। गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित इक ग़ज़ल..

गुरुवर विनय साग़र

( Guruvar Vinay Sagar )

नज़र जो आपकी हम पर ज़नाब हो जाए,
कसम ख़ुदा की सफ़र लाज़वाब हो जाए ।

घटाएँ प्यार की जिस पर भी ये बरस जाएँ,
ग़ज़ल की बज़्म में वो कामयाब हो जाए ।

रखो शरण में, चरण छूटने न पाए ये,
कहीं ये हो न मेरा ख़्वाब ख़्वाब हो जाए ।

गमों की रात में दिल काँप काँप जाता है,
दया करो ये ‘दिया’ आफ़ताब हो जाए ।

मिले जो आप की नेमत मुझे ‘विनय साग़र’,
बबूल हो के भी ‘अनहद’ गुलाब हो जाए ।

अजय जायसवाल ‘अनहद ‘
अमेठी – उत्तर प्रदेश

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