ए ख़ुदा तूने दी कैसी जिंदगी है
ए ख़ुदा तूने दी कैसी जिंदगी है

ए ख़ुदा तूने दी कैसी जिंदगी है

 

 

ए ख़ुदा तूने दी कैसी जिंदगी है!

हर घड़ी गम की रवानी ही  मिली है

 

इस जहां में मेरा कोई  भी नहीं तो

रोज़ राहें अपनी तो तन्हा भरी है

 

कोई तो मेरा बना दें आशना तू

शहर में हर सूरत ए रब अजनबी है

 

भेज दें उसको बनाकर हम सफ़र तू

हो गयी जिससे मुझे ही आशिक़ी है

 

ढूँढ़ू कैसे घर उसी का है अंधेरे

राह में मेरी न ही वो रोशनी है

 

टूट गयी होती सांसें की डोर कब की

जी रहा हूँ जिंदगी में शाइरी है

 

पर मिली है हर पल आज़म को उदासी

मांगी तुझसे ही ख़ुदा हर पल ख़ुशी है

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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