Ghazal Dil kisi ki
Ghazal Dil kisi ki

दिल किसी की 

( Dil kisi ki  )

 

 

दिल किसी की बहुत आरजू कर रहा

रात दिन दिल यही गुफ़्तगू कर रहा

 

वो नजर आता मुझको नहीं है मगर

हर गली में उसे जुस्तजू कर रहा

 

फूल जिसको दिया प्यार का रोज़ है

और दिल रोज़ अपना अदू कर रहा

 

किस तरह से इशारा करुं प्यार का

शक्ल वो ही नहीं रु ब रु कर रहा

 

साथ देने की कसमे खायी उम्रभर

आज वो प्यार बेआबरू कर रहा

 

आपके लहजे से बात करता था जो

देखिए आज मुझको वो तू कर रहा

 

जो नहीं है नसीब में लिक्खा आज़म के

रात दिन दिल उसकी आरजू कर रहा

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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