बरसात का आगमन | Kavita Barsaat ka Aagman
बरसात का आगमन
( Barsaat ka Aagman )
एक गौरैया
बारिश में अपने पंख फैलाकर
जब नहाती है
तब सूचना देती है वह
बारिश के आगमन का।
और बादल आपस मे टकराकर
टूटते है, बिखरते ही अपनी
बूंदो को इस धरा पर
दूर किसी बस की खिड़की में
तब झाँकता दिखलाई देता है
एक धुंधला-सा दिन।
ऐसे ही एक सफर की
धुंधली-सी याद आती है
तुम्हारे साथ की।
याद हो आती है तुम्हारी उंगलियों की
अनकही अभिव्यक्ति—
जो अपने प्रेम को परिभाषित
कराती है उस खिड़की की
कांच में भाप पर लिखी हुई
आकृति की।
फिर—
वही गौरैया गुनगुनाती है गीत
अपने गीले पंखों
और भीगती हुई आवाज में।
वहीं दूर पहाड़ में
एक फोहा बर्फ का
अब भी इंतजार में झांकता
दिखलाई देता है
उस खिड़की के उस पार से।।
डॉ. पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’
लेखिका एवं कवयित्री
बैतूल, मप्र