चाहने वाले कितने | Ghazal Chahane Wale
चाहने वाले कितने
( Chahane Wale Kitne )
रिन्दो से पूछो न पत्थर हैं उछाले कितने
मत गिनो टूटे हैं मय के यहाँ प्याले कितने
जोर तूफ़ान का तो शोर कभी लहरों का
सीने में ग़म के समंदर है सँभाले कितने
कौन सुनता है ग़रीबों की यहाँ पर देखो
नज़रें डालो ज़रा पैरों में हैं छाले कितने
बोलता सच हूँ मैं सच के तो सिवा कुछ भी नहीं
तुम लगा दो ज़ुबा पे तो भले ताले कितने
तीरगी देख के घबरा न बशर जीवन में
देख उम्मीद में बैठे हैं उजाले कितने
अपनी तक़दीर परखने के लिए दुनिया में
और भी लोगों ने सिक्के हैं उछाले कितने
तेरी चौखट से न जायेंगे किसी सूरत हम
चाहे इल्ज़ाम सितमगर तू लगाले कितने
गीत ग़ज़लों की तो महफ़िल है सजाती मीना
पर ये मालूम नहीं चाहने वाले कितने
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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