रानी भी भेज दो
( Rani bhi bhej do )
मिसरा दिया है ऊला तो सानी भी भेज दो
राजा के वास्ते ख़ुदा रानी भी भेज दो
जब जा रहे हो तोड़ के रिश्ता -ऐ-वफ़ा
वापिस मुझे हरेक निशानी भी भेज दो
कर लूँ तुम्हारे झूठ पे ख़ुश होके मैं यक़ीं
इतनी लतीफ़ कोई कहानी भी भेज दो
उड़ जाएं ये न तिनके नशेमन के या ख़ुदा
पुरज़ोर आधियाँ हैं तो पानी भी भेज दो
आँखों का हर इशारा समझ तो लिया मगर
पैग़ाम अपना मुझको ज़ुबानी भी भेज दो
या रब वो आयें और न जाने का नाम लें
क़िस्मत में ऐसी शाम सुहानी भी भेज दो
साग़र ख़ुदा से माँगी है हमने यही दुआ
सूखी हुई नदी में रवानी भी भेज दो
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
लतीफ़ -मज़ेदार ,बढ़िया