बहुत हमको लुभाती है यहां सूरत कोई भोली
बहुत हमको लुभाती है यहां सूरत कोई भोली
बहुत हमको लुभाती है यहां सूरत कोई भोली।
करे घायल सदा दिल को लगे जैसे कोई गोली।।
जिसे भी मांगना हो ग़र सदा मांगो खुदा से ही।
नहीं खाली रहेगी फिर किसी की भी कोई झोली।।
बने सब ग़ैर भी अपने बने अपने पराये से।
करे ये काम दुनिया में हमेशा ही कोई बोली।।
सुकूं मिलता नहीं जिसमें मकां किस काम का बोलो।
किसी ऊंचे महल से तो भली लगती कोई खोली।।
हज़ारों रंग दुनिया में नहीं मंज़र सुहाने सब।
कहीं पे प्रेम की गंगा कहीं खूं की कोई होली।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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