
प्यार के वो ही आज़म सहारे टूटे
प्यार के वो ही आज़म सहारे टूटे!
आज वो ही वफ़ा के किनारे टूटे
प्यार की ही कहानी बढ़ी इसलिए
आंखों से आंखों के ही नजारे टूटे
अब ज़बां पे यकीं होगा उसकी मुझे
वादों के दिल से ही वो बहाने टूटे
अपनों में हो गयी है लड़ायी ऐसी
नफ़रतों में देखो घर हमारे टूटे
ऐसा बेरोजगारी का चला सिलसिला
मुफ़लिसी में यहां तो गुज़ारे टूटे
जो मुहब्बत भरे थे किसी से आज़म
वो हंसी प्यार के अब इशारे टूटे