अब के मौसम | Ab ke Mausam
अब के मौसम
( Ab ke mausam )
अब के मौसम जो प्यार का आया
तुम पे फिर दिल बहार का आया
वक़्त फिर आर-पार का आया
मसअला जब दिवार का आया
मुब्तिला थी मैं याद में उसकी
जब इशारा मुशार का आया
पेशवाई करो जहां की तुम
इज़्न फिर ताजदार का आया
ये सबा कह रही है कानों में
ख़त कोई तेरे यार का आया
मैं भी खिलने लगी गुल ए तर सी
वक़्त मेरे निखार का आया
हिज़्र की रात आ गयी “मीना”
वक़्त फिर इन्तिज़ार का आया
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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