Sataya na Kar

सताया न कर

( Sataya na Kar )

 

ज़ब्त रब का कभी आज़माया न कर
बेवज़ह मुफ़लिसों को सताया न कर।

है खफ़ा तो पता ये उसे भी लगे
ख़ुद ब ख़ुद आदतन मान जाया न कर।

रंजिशें दरगुज़र भी किया कर कभी
तल्ख़ियां बेसबब यूं बढ़ाया न कर।

तोड़ कर ख़्वाब ग़र तू चला ही गया
है क़सम ख़्वाब में रोज़ आया न कर।

कब अता फ़त्ह तक़दीर कर दे तुझे
हार मायूस हो मान जाया न कर।

कोशिशें भूलने की तुझे कर रही
ख़ुदकुशी क्या मुझे ये बताया न कर।

भूल जाना मुझे ठीक तेरा मगर
इस कदर अब मुझे याद आया न कर।

ग़ालिबन आजकल है चलन में जफ़ा
खामखां तू वफ़ा अब निभाया न कर

है अकीदा नयन को ख़ुदा साथ में
वक्त तेवर उसे यूं दिखाया न कर।

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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