अपनी हस्ती ही मिटा दी हमने | Apni Hasti
अपनी हस्ती ही मिटा दी हमने
अपनी हस्ती ही मिटा दी हमने
अपने दुश्मन को दुआ दी हमने
क्या सज़ा मुझको खुदा कल देगा
आज जो ज़ीस्त सजा ली हमने।
अपने यारो पे भरोसा करके
अपनी दुनिया ही मिटा दी हमने
कोई वादा नही था मिलने का
आँख राहों में बिछा दी हमने
हाथ अपने ही उठाकर रब से
तेरी खुशियों को दुआ दी हमने
वो नही भूल सकेगा हमको
इतनी उसको जो वफ़ा दी हमने
दिल के कमरे से हटाकर चीजें
उनकी तस्वीर लगा दी हमने
जो न झुकता था प्रखर दुनिया में
उसको मंज़िल की दुआ दी हमने
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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