Baarish Poem
Baarish Poem

बारिश

( Baarish ) 

 

आई है सौ रंग सजाती और मचलती ये बारिश
रिमझिम रिमझिम बूंदों से सांसों में ढलती ये बारिश।

दर्द हमेशा सहकर दिल पत्थर के जैसे सख़्त हुआ
सुन कर दर्द हमारा लगता आज पिघलती ये बारिश।

याद हमें जब आते हैं वो उस दिन ऐसा होता है
पांव दबाकर नैनो से चुप चाप निकलती ये बारिश।

चांद उफक़ गुल और सितारे सब उनके दीवाने हैं
देखा है उनके रुख़ पर सौ बार फिसलती ये बारिश।

महलों में खुशियां ले आई मुफ़लिस के घर पर मसला
हैरां हूं मैं कैसे कैसे रंग बदलती ये बारिश।

चांद उफक़ गुल और सितारे सब उनके दीवाने हैं
देखा है उनके रुख़ पर सौ बार फिसलती ये बारिश।

रोज़ नयन देखा करती है छत पर गिरती बूंदों को
रोज़ नयन में ख़्वाब सुनहरे लेकर चलती ये बारिश।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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