उदासियाँ

उदासियाँ | Udasiyan

उदासियाँ

( Udasiyan )

बैठी हैं हर क़दम पे डगर पर उदासियाँ
कैसे हो अब गुज़र, मेरे दर पर उदासियाँ

मायूस होके लौटे जो उनकी गली से हम
छाईं हमारे क़ल्ब-ओ-जिगर पर उदासियाँ

क्या हाल आपसे कहें क़हर-ए-खिज़ां का हम
सूखी है डाल-डाल शजर पर उदासियाँ

दिखता नहीं लबों पे तबस्सुम किसी के अब
छाई हुई हैं सबकी नज़र पर उदासियाँ

वक़अत रही न आज हुनरमंद की कोई
पसरी हुईं हैं यूँ ही हुनर पर उदासियाँ

बदली है यूँ फ़ज़ा कि सिसकती है साँस-साँस
बोझिल हैं शाम और हैं सहर पर उदासियाँ

हासिल कहाँ किसी को है मीना सकूँ कि अब
फिरता है हर बशर लिए सर पर उदासियाँ

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

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