पूजे जाते हैं | Puje Jate Hain
पूजे जाते हैं
( Puje Jate Hain )
कहीं भगवान वना पूजे जाते हैं पत्थर।
कहीं ठोकर दर ठोकर खाते हैं पत्थर।
लिखे थे उसकी किस्मत में शायद पत्थर।
तभी लोगों ने मिलकर उसे मारे पत्थर।
मिले जो गले आ कर उसने भी नहीं गिला।
शिकवा उनसे नहीं हाथ में थे जिनके पत्थर।
ख्वाबों में डूबी झील को जगा दिया।
इश्क मिजाजी लडकों ने मार के पत्थर।
इनको उठा कर चाहे जिसे चाहो मारो।
हिसाब करेंगे कट्टठे हो कर तुझसे पत्थर।
गिला शिकवा करें भी तो किससे करें।
मंदिर में भी तो पूजे जाते हैं पत्थर।
पत्थरों के घरों में रहने बालों के लगता है।
प्यार नहीं दिलों में,दिल हैं हो गए पत्थर।
सुदेश दीक्षित
बैजनाथ कांगड़ा
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