जनकवि अदम गोंडवी
जनकवि अदम गोंडवी
मैं प्रणाम, वंदन,नमन का चंदन आपको बार-बार हर बार करता हूं,
स्मृति में रहो आप हमारे और जग के,यही प्रयत्न मैं हर बार करता हूं।
मन को झकझोरती आपकी कविता, जग को दिखाई राह सच्चाई लेखनी से,
जन कवि अदम गोंडवी जी को मैं साष्टांग दंडवत प्रणाम करता हूं।।
गरीबी को बताई सच्चाई लाज तेरी, लूट रही है आज जिंदगी,
हाथ जोड़कर कर रहा हूं आज भी अंग्रेजी गुलामी की बंदगी।
लात खाता है सुबह से शाम तक,पर डालता है व्हिस्की गिलास में,
अमीरों के पैरों की जूती बना हूं मैं बस क्या यही है तेरी जिंदगी।।
द्वार पर झाड़ू लगाओ तुम,तेरी बीवी को गंदी नजर से देखा है,
वह अमीर साहबजादा है बस तुम्हारी गरीबी पर रोटी सेंकता है।
मारता है तुझे,भूखे पेट कम करवाता,पर न देता एक कौड़ी भी,
इंसानियत नहीं है मन में तनिक भी,वह शूद्रों को जूती समझता है।।
तेरी लेखानी को प्रणाम और अदम्य को प्रणाम बार-बार करता हूं,
हरखुआं पर लिखी रचना मुझे प्रभावित करती,स्मरण बार-बार करता हूं।
खोलकर पोल रख दिया आपने इन नेताओं, चमचागिरों की आपने,
ऐसे लोगों का समाज से तिरस्कृत हो,मैं भी इनका तिरस्कार करता हूं।।
मेरी लेखनी स्वीकार करो मेरे जननायक कवि जग प्यारे अदम जी,
जहां जन्म हुआ आपका,आपकी मातृभूमि को मैं नमन करता हूं अदम जी,
साहसो की डोर को मजबूत किया आपने, जग को समझाया लेखनी से,
पूरे गजराजपुरवा परसपुर की पावन भूमि को मैं प्रणाम करता हूं अदम जी।।
प्रभात सनातनी “राज” गोंडवी
गोंडा,उत्तर प्रदेश
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