खुशियों से रौशन करें संसार
दीपावली
घी रुई से ज्योति जलती
मिट्टी का दीपक जलता
जीवन की गाड़ी चलती
आपसी प्रेम जो पलता
राम आज जब आयेंगे
प्रसन्न हो जायेगी सीता
अयोध्यावासी भी गायेंगे
उर्मिला भी होगी हर्षिता
भरत मिलने आयेंगे
शुभ बेला आई पुनीता
नागर दीप जलायेंगे
खुश होंगी तीनों माता
रावण से लंका को जीता
मुक्त हुई लंका से सीता।
खुशियों से रौशन करें संसार
दीपोत्सव की खुशियां अपार,
सनातन धर्म का करें प्रसार।
मां लक्ष्मी की कृपा अपरंपार,
खुशियों से रोशन करें संसार।
सबका हो भरा पूरा परिवार,
कुबेर देव भरें धन भंडार।
सुकर्म करो बनो ईमानदार,
सत्कर्म फल प्रभु पर दे डार।
प्रभु पालक और खेवनहार,
उनकी नैया उनका पतवार।
वही देखते सबका घर-बार,
उनके हाथों में संपूर्ण संसार।
तेरा तुझको सौंपता फूल हार,
ये भक्त आलोक रंजन कुमार।
डॉ. आलोक रंजन कुमार
जपला, पलामू, झारखंड।
यह भी पढ़ें:-
द साहित्य, दोहा क़तर के सम्पादक, सम्पादक मंडल तथा सभी पाठकों पाठिकाओं को —
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
रचना प्रकाशित करने तथा पढ़ने वाले सभी अपनों को हार्दिक आभार!