तेरा शिद्दत से इंतिज़ार किया
तेरा शिद्दत से इंतिज़ार किया
उम्र भर बस ये रोज़गार किया
तेरा शिद्दत से इंतिज़ार किया
बेसबब ख़ुद को दाग़दार किया
जाने क्यों तेरा ऐतिबार किया
ज़ीस्त में अब न लुत्फ़ है कोई
क्या कहें घर को ही मज़ार किया
क्यों न करते भी शुक्रिया उसका
जिसने मौसम को ख़ुशगवार किया
ज़ख़्म खाये हज़ार थे हमने
मरहम-ए-वक़्त ने सुधार किया
सिर्फ़ धोखे मिले सियासत में
उसने लोगों को अश्क बार किया
देके लोगों ने तोहमतें मुझको
तीर मेरे जिगर के पार किया
शेर अच्छे हुए ग़ज़ल के तो
उसने लोगों के दिल पे वार किया
जां से प्यारी लगी हमें मीना
उस पे अपना ये दिल निसार किया
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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