
खूब उसने जफ़ा की
( Khoob usne jafa ki )
रोज़ जिससे दोस्ती में वफ़ा की
साथ उसने रोज़ मुझसे दग़ा की
भूल जाऊं बेवफ़ा को हमेशा
खूब रब से रोज़ मैंनें दुआ की
याद के उसकी भरे ज़ख्म कब है
खूब ज़ख्मों की यहाँ दवा की
देखिये वो बेवफ़ा की निग़ाहे
प्यार की दिल से वफ़ाए जुदा की
प्यार से वो देखता अब नहीं है
आजकल उसने निग़ाहे ख़फ़ा की
प्यार से आज़म दिया फूल कब है
आशिक़ी में खूब उसने जफ़ा की